Veer Savarkar 1883 :वीर सावरकर भारत के एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनका जीवन क्रांतिकारी विचारों और विवादों से भरा हुआ है. उनके समर्थक उन्हें एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और हिंदुत्व विचारधारा के प्रणेता के रूप में देखते हैं. वहीं, कुछ आलोचक उनके विचारों को सांप्रदायिक मानते हैं.
उन्होंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। उन्हें 1910 में नासिक कलेक्टर जैकसन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।सावरकर ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सेल्युलर जेल में 10 साल बिताए। जेल में रहते हुए उन्होंने कई कविताएँ और पुस्तकें लिखीं, जिनमें “1857 का स्वातंत्र्य समर” और “कमला” शामिल हैं।1924 में उन्हें रिहा कर दिया गया और उन्होंने हिंदू महासभा में शामिल होकर सामाजिक कार्यों में अपना योगदान दिया। हाल ही में 2024 में रिलीज होने वाली “Movie Swatantrya Veer Savarkar ” उनके जीवन और कार्यों पर आधारित है।
इस ब्लॉग में, हम वीर सावरकर के जीवन और उनके कार्यों पर एक संक्षिप्त नज़र डालेंगे.For more Biography click Here
Veer Savarkar 1883
कौन थे वीर सावरकर-Veer Savarkar 1883
वीर सावरकर, जिनका पूरा नाम Vinayak Damodar Savarkar था, का जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के भागपुर गांव में हुआ था। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और “हिंदुत्व” शब्द को गढ़ने का श्रेय उन्हें दिया जाता है।वे एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, समाज सुधारक और हिंदुत्व के दर्शन के सूत्रधार थे।।
प्रारंभिक जीवन:
- सावरकर का जन्म एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
- उनके पिता दामोदरपंत सावरकर एक सरकारी कर्मचारी थे।
- उनकी माता राधाबाई एक गृहिणी थीं।
- सावरकर ने कम उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था।
- वे अपने बड़े भाई गणेश (बाबाराव) से काफी प्रभावित थे।
वीर सावरकर ने भारत की आजादी के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान दिए
क्रांतिकारी गतिविधियाँ:
- उन्होंने लंदन में रहते हुए “इंडिया हाउस” की स्थापना की, जो क्रांतिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया।
- उन्होंने “1857 का स्वातंत्र्य समर” जैसी पुस्तकें लिखीं, जो भारतीयों में राष्ट्रवादी भावना को जगाती थीं।
- 1910 में उन्हें नासिक कलेक्टर जैकसन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
- उन्हें दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और उन्होंने 10 साल सेल्युलर जेल में बिताए।
जेल में योगदान:
- जेल में रहते हुए उन्होंने कई कविताएँ और पुस्तकें लिखीं, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रज्वलित करती थीं।
- उन्होंने जेल में रहते हुए हिंदी भाषा और संस्कृत भाषा का अध्ययन किया।
- उन्होंने जेल में रहते हुए “हिंदुत्व” की अवधारणा को विकसित किया।
हिंदुत्व विचारधारा:
- सावरकर हिंदुत्व विचारधारा के प्रमुख विचारक थे।
- उनका मानना था कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और सभी हिंदुओं को एकजुट होकर इसे बचाना चाहिए।
- उनकी हिंदुत्व विचारधारा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
विवाद: वीर सावरकर एक विवादास्पद व्यक्तित्व रहे हैं। उनकी हिंदुत्व विचारधारा और कुछ कार्यों को लेकर उनकी आलोचना की जाती है।
वीर सावरकर के जीवन से जुड़ी कुछ 10 खास बातें (Important Point on Vinayak Damodar Savarkar Life)
- 1. राष्ट्रध्वज में धर्म चक्र: वीर सावरकर ने एक सुझाव दिया था कि भारतीय ध्वज में तिरंगे के बीच धर्म चक्र को शामिल किया जाए। बाद में इसे राष्ट्रपति डॉ.
- राजेन्द्र प्रसाद ने स्वीकार किया।
- 2. पूर्ण स्वतंत्रता का लक्ष्य: वीर सावरकर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का लक्ष्य “पूर्ण स्वतंत्रता” घोषित किया।
- 3. हेग न्यायालय में मामला: वे पहले राजनीतिक बंदी थे जिन्होंने विदेशी (फ्रांस) भूमि पर बंदी बनाये जाने के कारण हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला दर्ज कराया।
- 4. राष्ट्र के सर्वांगीण विकास का चिंतन: वे पहले क्रांतिकारी थे जिन्होंने राष्ट्र के सर्वांगीण विकास का चिंतन किया और जेल से छूटने के बाद अस्पृश्यता जैसी कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया।
- 5. जेल की दीवारों पर लिखी कविताएं: वे दुनिया के पहले कवि थे जिन्होंने अंडमान के जेल में जेल की दीवारों पर कील और कोयले से कविताएं लिखीं और फिर उन्हें याद किया। जेल से छूटने के बाद उन्होंने 10,000 पंक्तियों को फिर से लिखा।
- 6. 1857 के विद्रोह पर पुस्तक: वीर सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक “द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857” एक सनसनीखेज पुस्तक थी जिसने ब्रिटिश शासन को हिला डाला था।
- 7. दो आजीवन कारावास: वे दुनिया के अकेले स्वातंत्र्य-योद्धा थे जिन्हें दो-दो आजीवन कारावास की सजा मिली, सजा को पूरा किया और फिर से वे राष्ट्र जीवन में सक्रिय हो गए।
- 8. प्रतिबंधित पुस्तक: वीर सावरकर की “1857 का प्रथम स्वतंत्रता युद्ध” पुस्तक को 2-2 देशों ने प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया था।
- 9. स्नातक की उपाधि वापस: वे पहले स्नातक थे जिनकी स्नातक की उपाधि को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण अंग्रेज सरकार ने वापस ले लिया था।
- 10. विदेशी वस्त्रों की होली: वीर सावरकर पहले ऐसे भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने सर्वप्रथम विदेशी वस्त्रों की होली जलाई थी।
इन 10 बातों के अलावा, वीर सावरकर ने कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी किए हैं। वे एक महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक सुधारक और लेखक थे।
लंदन में गिरफ्तारी और सेलुलर जेल की कठोर यात्रा (London Mein Giraftari Aur Cellular Jail Ki Kathor Yatra)
Vinayak Damodar Savarkar 1906 में लंदन चले गए, जहाँ उन्होंने वहां के भारतीय छात्रों को क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल किया. ब्रिटिश सरकार उन्हें भारत वापस ले गई और उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया. अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह स्थित कुख्यात सेलुलर जेल में उन्हें कठोर कारावास की सजा सुनाई गई. कड़ी मेहनत और कई भूख हड़तालों के बाद, 1924 में उन्हें रिहा कर दिया गया.
अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बीज
सावरकर बचपन से ही देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों को करीब से देखा और उनका विरोध किया. उन्होंने “मित्र मेला” नामक एक गुप्त संगठन बनाया, जो अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में लिप्त था.
काला पानी की सजा
सावरकर 1909 में अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए थे. उन पर अंग्रेज अधिकारी की हत्या की साजिश का आरोप लगाया गया था. 1910 में उन्हें “काला पानी” की सजा, जो उस समय सबसे कठोर सजा मानी जाती थी, सुनाई गई. सजा के तौर पर उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह स्थित सेलुलर जेल में रखा गया. इस जेल में कैदियों को अमानवीय यातनाएं दी जाती थीं.
जेल में संघर्ष और लेखन
सावरकर ने जेल में रहते हुए भी अपना संघर्ष जारी रखा. उन्होंने जेल के कठिन हालातों को सहा और क्रांतिकारी भावनाओं को बनाए रखा. जेल में ही उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें “काला पानी” भी शामिल है. इस पुस्तक में उन्होंने जेल के अत्याचारों और वहां के जीवन का वर्णन किया है.
** रिहाई और विवाद**
सावरकर को 1924 में रिहा कर दिया गया था. रिहाई के बाद उनकी विचारधारा और गतिविधियों को लेकर विवाद खड़े हुए. उन्होंने कुछ दया याचिकाएं भी दायर की थीं, जिन्हें लेकर उनके राष्ट्रवाद पर सवाल उठाए गए.
महात्मा गांधी की हत्या के बाद बदले समीकरण:
वीर सावरकर और आरएसएस:Veer Savarkar 1883 and RSS
- हिंदू महासभा के अध्यक्ष के रूप में, सावरकर ने आरएसएस के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गांधीजी की हत्या के बाद, आरएसएस नेतृत्व बदल गया और सावरकर बंधुओं की भूमिका कम हो गई।
- कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सावरकर की राजनीति उनकी दुश्मनी और गांधीजी के प्रति ईर्ष्या से प्रेरित थी।
हिंदू महासभा की राजनीति:
- कांग्रेस के विपरीत, हिंदू महासभा ने मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन किया।
- 1945-46 के चुनावों में हिंदू महासभा हार गई।
- सावरकर की राजनीति अक्सर लोकप्रिय मनोदशा के खिलाफ थी, जैसे भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध और द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों के साथ लड़ने के लिए हिंदुओं की भर्ती की वकालत।
गांधीजी की हत्या और सावरकर:
- साल 1948 में नाथूराम गोडसे नाम के एक व्यक्ति ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी।
- सावरकर को सह-आरोपी के रूप में गिरफ्तार किया गया।
- सावरकर ने गोडसे और आप्टे के साथ किसी विशेष संबंध से इनकार किया।
- विशेष अदालत ने सावरकर को बरी कर दिया, लेकिन न्यायमूर्ति जेएल कपूर जांच आयोग (1969) ने उन्हें दोषी ठहराया।
सावरकर के सचिव और अंगरक्षक:
- गजानन दामले और अप्पासाहेब थत्ते ने गोडसे और आप्टे को हथियार और साइकिल प्रदान की थी।
- थत्ते ने गांधीजी की हत्या के दिन गोडसे को पिस्तौल दी थी।
- दामले ने गोडसे को पनाह दी थी और हत्या के बाद उसे भागने में मदद की थी।
स्वतंत्रतावीर सावरकर” फिल्म से क्या उम्मीद करें (Movie Swatantrya Veer Savarkar Se Kya Ummid Karein)
आने वाली Movie Swatantrya Veer Savarkar उनके जीवन के किन पहलुओं को दर्शाएगी, इस पर अभी से कुछ कहना मुश्क (stills) और ट्रेलर के आधार पर यह फिल्म उनके क्रांतिकारी दौर और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को उजागर करती दिखाई दे रही है. यह फिल्म उनके जीवन के विवादित पहलुओं को किस हद तक छुएगी, यह देखना होगा.स्वतंत्रता वीर सावरकर एक आगामी हिंदी फिल्म है जो 22 मार्च,2024 को रिलीज़ होने की योजना बनाई गई है। फिल्म का निर्देशन रणदीप हुड्डा द्वारा किया जा रहा है और इसमें रणदीप हुड्डा, अमित सियाल, अंकिता लोखंडे और आर भक्ति क्लाइन को मुख्य किरदारों के रूप में दिखाया जाएगा।
Veer Savarkar Movie 2024
ऐतिहासिक झलक: यह फिल्म हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उस दौर की एक झलक दे सकती है, खासकर वीर सावरकर के नजरिए से.
विवादों पर चर्चा: सावरकर एक विवादास्पद व्यक्तित्व रहे हैं. फिल्म से यह उम्मीद की जा सकती है कि दर्शकों को उनके जीवन और विचारों पर चर्चा करने का मौका मिलेगा.
अभिनय का जलवा: रणदीप हुड्डा एक दमदार अभिनेता हैं और उनसे वीर सावरकर के किरदार को शानदार तरीके से निभाने की उम्मीद की जा सकती
Swatantra Veer Savarkar movie 2024 Review
फिल्म वीर सावरकर की कहानी के साथ शुरू होती है, उसके परिवार, और उसके भाई गणेश के प्रभाव पर, लेकिन जैसे-जैसे यह आगे बढ़ती है, ध्यान मुख्य रूप से सावरकर पर ही होता है। इसे एक अंधेरे सेटिंग में फिल्माया गया है, जो असहजता का कारण बन सकता है। कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के नाम उल्लेखित हैं लेकिन स्पष्ट रूप से नहीं दिखाए गए, जो इतिहास के अनजानों के लिए भ्रमजनक हो सकता है। फिल्म तीन घंटे लंबी है, कुछ सीन अनावश्यक रूप से खींचे गए हैं, जैसे कि सावरकर की ब्रिटिश सरकार को याचिका। जेल में पीड़ा के सीन जीवंत रूप से चित्रित किए गए हैं।
राणादीप हुड्डा का प्रदर्शन इन सीनों में प्रशंसनीय है। हालांकि, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, और सुभाष चंद्र बोस के चरित्रों को बहुत कम दिखाया गया है, जो अजीब लगता है। इस फिल्म को प्रेस्तावना के रूप में आलोचना की गई है, विशेष रूप से महात्मा गांधी के प्रतिरूपण में। सावरकर और गांधी के बीच की असहमतियाँ रोचक हैं। समग्र रूप से, फिल्म सावरकर की ओर अधिक पक्षपातपूर्ण प्रतीत होती है, जिससे आपके इतिहासिक सटीकता पर संदेह होता है। मध्य में यह उबाऊ बन जाती है, विशेष रूप से खींची गई जेल की सीनों के साथ। यह थोड़ी लंबी हो सकती थी, अंत का इंतजार करवाने के लिए। फिल्म बहुत लंबी है।
Frequently Asked Question On Veer Savarkar 1883
1.वीर सावरकर कौन थे? (Veer Savarkar Kaun The?)
जन्म: 28 मई, 1883 – नासिक, महाराष्ट्र
मृत्यु: 26 फरवरी, 1966 – मुंबई, महाराष्ट्र
शिक्षा: लंदन में कानून की पढ़ाई
प्रसिद्ध कार्य: क्रांतिकारी गतिविधियाँ, “1857 का स्वातंत्र्य समर” और “कमला” जैसी पुस्तकें लिखना, हिंदू महासभा में शामिल होना
2. What is the Release date of the Movie Swatantra Veer Savarkar?
22 March 2024
3. Who is the father of Hindutva?
Vinayak Damodar Savarkar is widely considered the “Father of Hindutva”. He was a complex figure who advocated for Indian independence but also developed the ideology of Hindutva, which emphasizes Hindu nationalism and cultural hegemony within India.
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