Q1. चांद पर सबसे पहले किसने और कब अपने मिशन को सफलतापूर्वक भेजा?
Ans. सोवियत संघ ने 1959 में।
Q2. सोवियत संघ ने जिस अंतरिक्षयान को चांद पर भेजा था, उसका नाम क्या था?
Ans. लूना-2
Q3. चांद पर पहली बार इंसान कब पहुंचा?
Ans. 20 जुलाई, 1969 को
Q4. चांद पर भेजे गए इंसानी मिशन का क्या नाम था?
ans. अपोलो-11
Q5. अपोलो-11 में इस्तेमाल स्पेसक्राफ्ट का क्या नाम था?
Ans. ईगल
Q6. चांद पर जिस जगह इंसान पहुंचे, उस जगह का नाम क्या था?
Ans. ट्रैंक्विलटी बेस
Q7. चांद पर पहले कदम रखने वाले इंसान का क्या नाम था?
Ans. नील आर्म्सट्रॉन्ग
नील आर्म्सट्रॉन्ग के साथ चांद के मिशन पर जाने वाले दूसरे व्यक्ति का क्या नाम था?
जवाब: बज ऑल्ड्रिन
Q8. नील आर्मस्ट्रॉन्ग की जगह किसको चांद पर भेजने की योजना थी?
Ans. गस गरिसम को। अपोलो-1 के दुर्घटनाग्रस्त होने की वजह से उनका निधन हो गया। फिर इसके बाद अपोलो-8 के कमांडर फ्रैंक बॉर्मन को इसका नेतृत्व करने का प्रस्ताव पेश किया गया जिन्होंने इसे ठुकरा दिया।
Q9. चांद पर किन देशों ने अपना मिशन सफलतापूर्वक भेजा है?
Ans. रूस, अमेरिका, जापान, चीन और भारत।
Q10. चांद पर भारत का पहला मिशन चंद्रयान-1 कब भेजा गया?
Ans. 22 अक्टूबर, 2008
Q11. चंद्रयान-1 की सबसे बड़ी सफलता क्या थी?
Ans. चंद्रयान-1 के दौरान चांद पर पानी की उपस्थिति के बारे में पता चला। बाद में नासा ने भी इसकी पुष्टि की।
Q12. चंद्रयान-2 की कमान किन महिलाओं के हाथ में हैं?
Ans. प्रॉजेक्ट डायरेक्टर एम. वनीता और मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल
Q13. चंद्रयान-2 चांद के किस हिस्से पर उतरेगा?
Ans. चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी हिस्से पर लैंड करेगा, जहां आज तक किसी ने लैंडिंग नहीं की है।
Q14. चंद्रयान-2 के तीनों हिस्से का नाम बताएं
Ans. लैंडर, ऑर्बिटर और रोवर लैंडर
Q15. लैंडर क्या है और यह क्या काम करेगा?
Ans. लैंडर का नाम रखा गया है विक्रम। इसका वजन 1400 किलो और लंबाई 3.5 मीटर है। इसमें 3 पेलोड (वजन) होंगे। यह चंद्रमा पर उतरकर रोवर स्थापित करेगा।
Q16. ऑर्बिटर के बारे में क्या जानते हैं आप?
Ans: ऑर्बिटर का वजन 3500 किलो और लंबाई 2.5 मीटर है। यह अपने साथ 8 पेलोड लेकर जाएगा। यह अपने पेलोड के साथ चंद्रमा का चक्कर लगाएगा। ऑर्बिटर और लैंडर धरती से सीधे संपर्क करेंगे लेकिन रोवर सीधे संवाद नहीं कर पाएगा।
Q17. रोवर के बारे में संक्षिप्त में बताएं
Ans: इसका नाम है प्रज्ञान, जिसका मतलब होता है बुद्धि। इसका वजन 27 किलो होगा और लंबाई 1 मीटर।
इसमें 2 पेलोड होंगे। यह सोलर एनर्जी से चलेगा और अपने 6 पहियों की मदद से चांद की सतह पर घूम-घूम कर मिट्टी और चट्टानों के नमूने जमा करेगा।
Q18: चंद्रयान-2 क्या करेगा?
Ans: चांद पर लैंडिंग के बाद रोवर एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से 15 से 20 दिनों तक चांद की सतह से डेटा जमा करके ऑर्बिटर तक पहुंचाता रहेगा। ऑर्बिटर उस डेटा को इसरो भेजेगा। लॉन्च के बाद 16 दिनों में ऑर्बिटर धरती के चारों ओर पांच बार कक्षा बदलेगा।
Q19: चंद्रयान-1 से चंद्रयान-2 कैसे अलग है?
Ans: चंद्रयान-1 में भारत ने हार्ड लैंडिंग या क्रैश लैंडिंग कराई थी जबकि चंद्रयान-2 में सॉफ्ट लैंडिंग होगी। दुनिया में अब तक रूस, अमेरिका और चीन ही सॉफ्ट लैंडिंग करवा पाए हैं। चंद्रयान-2 सफल रहने के बाद भारत सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश होगा। सॉफ्ट लैंडिंग में पेलोड तबाह नहीं होता है जबकि हार्ड लैंडिंग में ऐसा नहीं है।
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