Biography Of APJ Abdul Kalam | ए पी जे अब्दुल कलाम की जीवनी (15 Oct – 27 July)

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Biography Of APJ Abdul Kalam


एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 में धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु राज्य में एक मध्यम-वर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ । सर कलाम सात भाई-बहनों मे से एक थे। उनके पिता जैनुलाब्दिन नाव के मालिक थे, वह एक विनम्र स्वभाव के भक्त मुस्लिम और रामेस्वरन मंदिर के पुजारी के करीबी मित्र थे । 

शिक्षा 

कलाम ने तिरुचीरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से अपनी बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात वें एयरोनॉटीकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मद्रास इंस्टिटयूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी आ गए।

कार्य

कलाम ने 1958 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ अपना कैरियर शुरू किया तत्पश्चात वें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में स्थानांतरित हो गए वहां उन्होंने एसएलवी-3 (उपग्रह प्रक्षेपण वाहन-3) की मदद से रोहिणी-1 उपग्रह को निम्न-पृथ्वी कक्षा में स्थापित किया
इसरो के 19 सालों के कार्यकाल के बाद तत्कालीन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के प्रबंधक डॉ राजा रमन्ना के आदेश पर  ‘एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम’ का कार्यभार संभालने वापस डीआरडीओ आ गए ।
उनके नेतृत्व में कम-दूरी और मध्यम-दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल पृथ्वी और अग्नि भारत के मिसाइल शस्त्रागार में शामिल हुई ।
सन 1998 में सर कलाम ने भारत के पोखरण परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई।  यह 1974 के बाद किया गया पहला परिक्षण था।
कलाम 2002 से लेकर 2007 तक भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति रहे  इस पद पर रहते हुए उन्होने असंख्य गरीब बच्चों के दिलों को छुआ। चूँकि वह स्वयं एक गरीब परिवार से आये थे इसलिए सुनहरे भविष्य निर्माण मे शिक्षा की शक्ति के योगदान को अच्छी तरह से जानते थे। कलाम को बच्चों से विशेष लगाव है बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी कलाम कविता के शौकीन थे 

पुरस्कार-उपाधि 

भारत रत्न (1997), पद्म विभूषण (1990), पद्म भूषण (1981), इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार एवं देशी-विदेशी कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधि 

रॉकेट इंजीनियर के पद पर

कालान्तर में डॉ.  सर अब्दुल कलाम को इंडियन कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च की ओर से साक्षात्कार के लिए बुलावा आया। उनका साक्षात्कार अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई ने खुद लिया। इस साक्षात्कार के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति में रॉकेट इंजीनियर के पद पर उन्हें चुन लिया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति में इनका काम टाटा इंस्टीट्यूट आफ फण्डामेंटल रिसर्च के कंप्यूटर केंद्रमें काम शुरू किया। सन् 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति ने केरल में त्रिवेंद्रम के पास थुंबा नामक स्थान पर रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र स्थापित करने का फैसला किया। थुंबा को इस केंद्र के लिए सबसे उपयुक्त स्थान के रूप में चुना गया था, क्योंकि यह स्थान पृथ्वी के चुंबकीय अक्ष के सबसे क़रीब था।
उसके बाद शीघ्र ही डॉ. सर  कलाम को रॉकेट प्रक्षेपण से जुड़ी तकनीकी बातों का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए अमेरिका में नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी ‘नासा’ भेजा गया। यह प्रशिक्षण छह महीने का था। जैसे ही डॉ. सर अब्दुल कलाम नासा से लौटे, 21 नवंबर, 1963 को भारत का ‘नाइक-अपाचे’ नाम का पहला रॉकेट छोड़ा गया। यह साउंडिंग रॉकेट नासा में ही बना था। डॉ. साराभाई ने राटो परियोजना के लिए डॉ.  कलाम को प्रोजेक्ट लीडर नियुक्त किया।
डॉ. कलाम ने विशेष वित्तीय शक्तियाँ हासिल की, प्रणाली विकसित की तथा 8 अक्टूबर 1972 को उत्तर प्रदेश में बरेली एयरफोर्स स्टेशन पर इस प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

मिसाइल कार्यक्रम के जनक

इस परियोजना के प्रथम चरण में एक नीची ऊँचाई पर तुरंत मार करने वाली टैक्टिकल कोर वेहिकल मिसाइल और जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार सकने वाली मिसाइल के विकास एवं उत्पादन पर जोर था।
दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार सकने वाली मिसाइल तीसरी पीढ़ी की टैंकभेदी गाइडेड मिसाइल और डॉ. अब्दुल कलाम के सपने रि-एंट्री एक्सपेरिमेंट लान्च वेहिकल (रेक्स) का प्रस्ताव रखा गया था। जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली को ‘पृथ्वी’ और टैक्टिकल कोर वेहिकल मिसाइल को ‘त्रिशूल’ नाम दिया गया।
जमीन से हवा में मार करने वाली रक्षा प्रणाली को ‘आकाश’ और टैंकरोधी मिसाइल परियोजना को ‘नाग’ नाम दिया गया। डॉ. अब्दुल कलाम ने अपने मन में सँजोए रेक्स के बहुप्रतीक्षित सपने को ‘अग्नि’ नाम दिया।
27 जुलाई, 1983 को आई.जी.एम.डी.पी. की औपचारिक रूप से शुरूआत की गई। मिसाइल कार्यक्रम के अंतर्गत पहली मिसाइल का प्रक्षेपण
1.  16 सितंबर, 1985 को किया गया। इस दिन श्रीहरिकोटा स्थित परीक्षण रेंज से ‘त्रिशूल’ को छोड़ा गया। यह एक तेज प्रतिक्रिया प्रणाली है जिसे नीची उड़ान भरने वाले विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा विमानभेदी मिसाइलों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जा सकता है।
2.  25 फरवरी, 1988 को दिन में 11बजकर 23 मिनट पर ‘पृथ्वी’ को छोड़ा गया।   यह 150 किलोमीटर तक 1000 किलोग्राम पारंपरिक विस्फोटक सामग्री ले जाने की क्षमता वाली जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है।
3. 22 मई, 1989 को ‘अग्नि’ का प्रक्षेपण किया गया। यह लंबी दूरी के फ्लाइट वेहिकल के लिए एक तकनीकी प्रदर्शक था। साथ ही ‘आकाश’ पचास किलोमीटर की अधिकतम अंतर्रोधी रेंजवाली मध्यम की वायु-रक्षा प्रणाली है।
उसी प्रकार ‘नाग’ टैंक भेदी मिसाइल है, जिसमें *’दागो और भूल जाओ’ तथा ऊपर से आक्रमण करने की क्षमताएँ हैं। 

राजनीतिक जीवन

डॉक्टर अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं हैं लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है
इन्होंने अपनी पुस्तक? ‘इण्डिया 2020’ में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते हैं और इसके लिए इनके पास एक कार्य योजना भी है। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते रहे हैं। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी विकास चाहते हैं। डॉक्टर कलाम का कहना है कि ‘सॉफ़्टवेयर’ का क्षेत्र सभी वर्जनाओं से मुक्त होना चाहिए ताकि अधिकाधिक लोग इसकी उपयोगिता से लाभांवित हो सकें। ऐसे में सूचना तकनीक का तीव्र गति से विकास हो सकेगा। वैसे इनके विचार शांति और हथियारों को लेकर विवादास्पद हैं। इस संबंध में इन्होंने कहा है- “2000 वर्षों के इतिहास में भारत पर 600 वर्षों तक अन्य लोगों ने शासन किया है। यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है और शांति की स्थापना शक्ति से होती है। इसी कारण मिसाइलों को विकसित किया गया ताकि देश शक्ति सम्पन्न हो।”


पुस्तकें

विंग्स ऑफ फायर- यह इनकी आत्मकथा है,
इण्डिया 2020- ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम,
भारत की आवाज़,
टर्निंग प्वॉइंट्स,
हम होंगे कामयाब
‘माई जर्नी’
इग्नाटिड माइंड्स – अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’।
महाशक्ति भारत
हमारे पथ प्रदर्शक
अदम्य साहस
छुआ आसमान

इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इन्होंने अपनी जीवनी ‘विंग्स ऑफ़ फायर’ भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज़ में लिखी है। इनकी दूसरी पुस्तक ‘गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज़ ऑफ़ लाइफ’ आत्मिक विचारों को उद्घाटित करती है



सर एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा जो कथन कहे गए है उनका अनुसरण एक बार जरूर किआ जाये आपकी सफलता निश्चित ही आपके कदम चूमेगी
1. सपने सच हों, इसके लिए सपने देखना जरूरी है –  APJ ABDUL KALAM

2. अगर एक देश को भ्रष्टाचार मुक्त होना है तो मैं यह महसूस करता हूं कि हमारे समाज में 
3 ऐसे लोग हैं, जो ऐसा कर सकते हैं। ये हैं- पिता, माता और शिक्षक
4. आओ, हम अपना आज कुर्बान करें, ताकि हमारे बच्चों का कल बेहतर हो।
5. हमें हार नहीं माननी चाहिए और समस्याओं को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए
6. अलग ढंग से सोचने का साहस करो, आविष्कार का साहस करो, अज्ञात पथ पर चलने का साहस करो, असंभव को खोजने का साहस करो और समस्याओं को जीतो और सफल बनो। ये वो महान गुण हैं, जिनकी दिशा में तुम अवश्य काम करो।
7. भगवान उसी की मदद करता है, जो कड़ी मेहनत करते हैं। यह सिद्धान्त स्पष्ट होना चाहिए।
8. Man needs his difficulties because they are necessary to enjoy success.इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने कि लिए ये ज़रूरी हैं
9. Never stop fighting until you arrive at your destined place – that is, the unique you. Have an aim in life, continuously acquire knowledge, work hard, and have perseverance to realise the great life.

तब तक लड़ना मत छोड़ो जब तक अपनी तय की हुई जगह पे ना पहुँच जाओ- यही, अद्वितीय तुम हो। ज़िन्दगी में एक लक्ष्य रखो, लगातार ज्ञान प्राप्त करो, कड़ी मेहनत करो, और महान जीवन को प्राप्त करने के लिए दृढ रहो

मत्त्वपूर्ण कार्य 

यह उनकी, भारत के अंतरिक्ष और रक्षा विभाग में योगदान की सबसे महत्वपूर्ण कहानी है।डॉ कलाम, उन कुछ वैज्ञानिकों में से एक हैं जिन्होंने बहुत पहले ही इसरो के साथ काम करना शुरू कर दिया था।  1970 और 1980 के दशक में कोई बुनयादी सुविधा न होने के कारण रॉकेट के भागों और पूरे उपग्रहों को ले जाने के लिए, साइकिल और बैल गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता था और डॉ कलाम ऐसे समय में देश के लिए अंतरिक्ष विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान देकर देश को विश्व के अग्रणी देशों में ला खड़ा किया

ISRO और DRDO में काम करते हुए, डॉ कलम ने AGNI और PRITHVI जैसी मिसाईल बनाई। इन्हीं के नेतृत्व में, पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण हुआ और भारत परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र बना।

वास्तव में, डॉ कलाम एसएलवी-III (अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान) और पीएसएलवी, स्वदेश में विकसित करने वाले प्रोजेक्ट के निदेशक थे, जो आज भी चंद्रमा और मंगल ग्रह मिशन के लिए प्रयोग किया जाता है। 1980 में, एसएलवी-III को  सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा के पास रोहिणी उपग्रह में भेजा गया था और भारत अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बना था। ISRO और DRDO में काम करते हुए, डॉ कलम ने AGNI और PRITHVI जैसी मिसाईल बनाई। इन्हीं के नेतृत्व में, पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण हुआ और भारत परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र बना।

एसएलवी-3 परियोजना के प्रबंधक

सर डॉ. अब्दुल कलाम को भारत के सैटेलाइट लांच वेहिकल (एस.एल.वी.) परियोजना का प्रबंधक बनाया गया।परियोजना प्रमुख के रूप में नामांकित करना एक सम्मान भी था और चुनौती भी थी।एस.एल.वी.-3 परियोजना का मुख्य उद्देश्य एक भरोसेमंद प्रमोचन यान विकसित करना था जो 40 किलोग्राम के एक उपग्रह को पृथ्वी से 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में स्थापित कर सके। इसमें एक बड़ा काम था यान के चार चरणों के लिए एक रॉकेट मोटर सिस्टम का विकास।हाई एनर्जी प्रोपेलेंट के इस्तेमाल में सक्षम रॉकेट मोटर सिस्टम में इस्तेमाल के लिए 8.5 टन प्रोपेलेंट ग्रेन निर्मित किया जाना था। एक अन्य कार्य था नियंत्रण तथा मार्गदर्शन। यह एक बड़ी परियोजना थी जिसमें दो सौ पचास उप-भाग और चालीस बड़ी उपप्रणालियाँ शामिल थीं। सभी गतिविधियों में तालमेल बैठाना और टीम का कुशल नेतृत्व करना डॉ. कलाम के लिए एक चुनौती थी।अंततः कड़ी मेहनत के बाद 18 जुलाई, 1980 को सुबह आठ बजकर तीन मिनट पर श्रीहरिकोटा रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र से एस.एल.वी.-3 ने सफल उड़ान भरी। इस परियोजना की सफलता ने डॉ. अब्दुल कलाम को राष्ट्रीय पहचान दी।इस उपलब्धि के लिए उन्हें  भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी 1981 को ‘पद्मभूषण’  से सम्मानित किया गया।


व्यक्तित्व एवं कृतित्व

इतने महत्तवपूर्ण व्यक्ति के बारे में कुछ भी कहना सरल नहीं है।वेशभूषा, बोलचाल के लहजे, अच्छे-खासे सरकारी आवास को छोड़कर हॉस्टल कासाादगीपूर्ण जीवन, ये बातें उनके संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर एक सम्मोहक प्रभाव छोड़ती थी।डॉ.  सर कलाम एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे ! विज्ञान, प्रौद्योगिकी, देश के विकास और युवा मस्तिष्कों को प्रज्ज्वलित करने में अपनी तल्लीनता के साथ साथ वे पर्यावरण की चिंता भी खूब करते थे !साहित्य में रुचि रखते थे कविता लिखते थेैं, वीणा बजाते थे, तथा अध्यात्म से बहुत गहरे जुड़े हुए थे !डॉ.  सर कलाम में अपने काम के प्रति जबर्दस्त दीवानगी थी !उनके लिए कोई भी समय काम का समय होता था!वह अपना अधिकांश समय कार्यालय में बिताते थे।देर शाम तक विभिन्न कार्यक्रमों में डॉ. कलाम की सक्रियता तथा स्फूर्ति काबिलेतारीफ थी।ऊर्जा का ऐसा प्रवाह केवल गहरी प्रतिबद्धता तथा समर्पण से ही आ सकता है।डॉ. कलाम खानपान में पूर्णत: शाकाहारी व्यक्ति थेैं। वे मदिरापान से बिलकुल परहेज करते थे। उनका निजी जीवन अनुकरणीय था।डॉ. कलाम की याददाश्त बहुत तेज थी। वे घटनाओं तथा बातों को याद रखते थे।सफलता एक विज्ञान है ; यदि परिस्थितयां हैं तो परिणाम मिलेगा? यदि आप दृढ संकल्प और पूर्णता के साथ काम करेंगे तो सफलता ज़रूर मिलेगी? भारत को अपनी ही छाया चाहिए, और हमारे पास स्वयं के विकास का प्रतिरूप होना चाहिए।? सपने सच हों, इसके लिए सपने देखना जरूरी है? मनुष्य को मुश्किलों का सामना करना चाहिए, क्योंकि सफलता के लिए यह जरूरी है? भगवान उसी की मदद करता है, जो कड़ी मेहनत करते हैं। यह सिद्धान्त स्पष्ट होना चाहिए।?


राष्ट्रपति पद पर

डॉक्टर अब्दुल कलाम भारत के ग्यारवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन.डी.ए. घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई, 2002  को डॉक्टर कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा ‘भारत का राष्ट्रपति’ चुना गया था और सर कलाम ने 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ ली गई।

इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे।

इनका कार्यकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ।  भारतीय जनता पार्टी में इनके नाम के प्रति सहमति न हो पाने के कारण यह दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनाए जा सके।

समाज सेवा

उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकें बहुत लोकप्रिय रही हैं। वे अपनी किताबों की रॉयल्टी का अधिकांश हिस्सा स्वयंसेवी संस्थाओं को मदद में दे देते हैं। मदर टेरेसा द्वारा स्थापित ‘सिस्टर्स ऑफ़ चैरिटी’ उनमें से एक है। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं। इनमें से कुछ पुरस्कारों के साथ नकद राशियां भी थीं। वह इन पुरस्कार राशियों को परोपकार के कार्यों के लिए अलग रखते हैं। जब-जब देश में प्राकृतिक आपदाएँ आई हैं, तब-तब डॉ. कलाम की मानवीयता एवं करुणा निखरकर सामने आई है। वह अन्य मनुष्यों के कष्ट तथा पीड़ा के विचार मात्र से दुःखी हो जाते हैं। वह प्रभावित लोगों को राहत पहुचाँने के लिए डी.आर.डी.ओ. के नियंत्रण में मौजूद सभी संसाधनों को एकत्रित करते। जब वे रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन में कार्यरत थे तो उन्होंने हर राष्ट्रीय आपदा में विभाग की ओर से बढ़ चढ़कर राहत कोष में मदद की।

कुछ महत्वपूर्ण पुरस्कार और उपाधियां सर डॉक्टर कलाम को अर्जित हुए  क्रम में

1. 1981 – पदम् भूषण  भारत सरकार द्वारा
2.  1990-  पदम् विभूषण भारत सरकार द्वारा
3. 1994 – विशिष्ठ सोधार्थी डायरेक्टर्स (इंडिया) भारत सरकार द्वारा
4. 1997-  भारत रत्न, भारत सरकार द्वारा
5.  1997 – इन्दिरा ग़ांधी राष्ट्रीय एकता पुरुस्कार (भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस)
6.  1998- वीर सावरकर पुरस्कार भारत सरकार द्वारा
7.  2000- रामानुजन पुरुस्कार  अल्वार्स शोध संस्थान ,चैन्नई
8. 2001 – डॉक्टर्स ऑफ साइंस की मानद उपाधि  वुल्लर हैप्टन विश्वविद्यालय , यूनाइटेड किंगडम
9. 2007 – किंग चार्ल्स ll मैडल  रॉयल सोसाइटी, यूनाइटेड किंगडम
10. 2007- डॉक्टर ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की मानद उपाधि  कोर्नेगी मेलन विश्वविद्यालय
11. 2008- डॉक्टर ऑफ साइंस (मानद उपाधि) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
12. 2008-  डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग (मानद उपाधि) नानयांग टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय सिंगापुर
13. 2009- वाँन कॉर्मन विंग्स अंतर्राष्ट्रीय अवॉर्ड केलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
14. 2009 – हूवर मैडल ए. एस.एम.ई फाउंडेशन
15. 2009 – मानद डॉक्टरेट – ओकलैंड विश्वविद्यालय
16. 2010 – डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग यूनिवरसिटी ऑफ वाटरलू
17. 2011- आई. ई. ई. मानद सदस्यता  I. E. E. E
18. 2012 – डॉक्टर ऑफ़ लॉज( मानद उपाधि) साइमन फेजर विश्वविद्यालय
19. 2014 – डॉक्टर ऑफ़ साइन्स एडिन बर्ग विश्वविद्यालय , यूनाइटेड किंगडम

सम्मान और पुरस्कार
डॉक्टर सर कलाम के 79 वें जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया गया।भारत सरकार द्वारा सर एपीजे कलाम को 1981 में पदम् भूषण1990 में पदम् विभूषण का सम्मान प्रदान किया गया जो उनके द्वारा इसरो और D.R.D.O में कार्यो के दौरान वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए तथा भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य हेतु प्रदान किया गया! 1997 में सर एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्नप्रदान किया गया जो उनके वैज्ञानिक अनुसंधनो और भारत में तकनिकी के विकास में अभूतपूर्व योगदान हेतु दिया गया वर्ष 2005 में स्विटजरलैण्ड की सरकार ने सर डॉक्टर कलाम के स्विटजरलैण्ड आगमन के उपलक्ष में 26 मई को विज्ञानं दिवस घोषित किया गया नेशनल स्पेस सोसाइटी ने वर्ष 2013 में कलाम को अंतरिक्ष विज्ञान संबधित परियोजना के कुशल संचलन और प्रबंधन के लिए वान ब्राउन अवार्ड से पुरुस्कृत किया

सर डॉ. कलाम को अनेक सम्मान और पुरस्कार मिले हैं
1. इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स का नेशनल डिजाइन अवार्ड
2.  एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का डॉ. बिरेन रॉय स्पेस अवार्ड
3.  एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का आर्यभट्ट पुरस्कार
4.  विज्ञान के लिए जी.एम. मोदी पुरस्कार

5.  राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार।

सर डॉ. कलाम भारत के एक विशिष्ट वैज्ञानिक हैं, जिन्हें 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।
सर डॉ. कलामको भारत के नागरिक सम्मान के रूप में 1981 में पद्म भूषण 1990 में पद्म विभूषण 1997 में भारत रत्न सम्मान प्राप्त हो चुके है।
 


निधन
27 जुलाई 2015 की शाम सर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार कार्डियक अरेस्ट ( दिल का दौरा) हुआ और वे बेहोश हो गएलगभग 6.30 बजे गंभीर हालात में इन्हें बेथानी हॉस्पिटल में ICU में ले जाया गया और दो घंटे बाद इनकी म्रत्यु की पुष्टि कर दी गयीअंतिम संस्कारमर्त्यु के तुंरत बाद सर डॉक्टर कलाम के शरीर को भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर से शिलोंग से गुवाहटी लाया गयाजहाँ से अलगे दिन 28 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थिव शरीर मंगलवार दोपहर वायुसेना के विमान सी- 130 जे हरक्यूलिस से दिल्ली लाया गयालगभग 12:15 पर विमान पालम हवाई हड्डे पर उतरा ! सुरक्षा बलों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ सर कलाम के पार्थिव शरीर को विमान से उतारा !वहाँ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी , राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी , दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरिवंद केजरीवाल व् तीनो सेनाओं के प्रमुखो ने इनकी अगवानी की और सर कलाम के पार्थिव शरीर पर पुष्पहार अर्पित किये ! इसके बाद तिरंगे में लपेटे डॉक्टर सर कलाम के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ एक गन कैरिज में रख उनके आवास 10 राजाजी मार्ग पर ले जाया गया ! यहाँ पूर्व प्रधानमत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह , कांग्रेस अध्य्क्ष सोनिया गांधी , राहुल गांधी सहित अनेक गणमान्य लोगो ने इन्हें श्रदांजलि दीभारत सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन के मौके पर उनके सम्मान के रूप में सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की29 जुलाई की सुबह वायुसेना के विमान सी-130 जेसे भारतीय ध्वज में लिपटे सर कलाम के शरीर को पालम एयर बेस पर ले जाया गया जहाँ से इसे मदुरैभेजा गया विमान दोपहर तक मदुरै हवाई अड्डे पर पऊचा ! उनके पार्थिव शरीर को तीनों सेनाओं के प्रमुख और राष्ट्रीय व् राज्य के गणमान्य लोगो , कैबिनेट मंत्री मनोहर पर्रिकर , वेंकैया नायडू, पान राधकर्षणन और तमिलनाडु और मेघालय के राज्यपाल के.रोसैया और वी. षड्मुखनाथन ने हवाई अड्डे पर प्रपात किआ !एक संशिप्त समारोह  के बाद सर कलाम के शरीर को एक वायु सेना के हेलीकॉप्टर? में मंडपम भेजा गया ! मंडपम से सर कलाम के शरीर को उनके ग्रह नगर रामेश्वरम एक आर्मी ट्रक में भेजा गया अंतिम श्रदांजलि देने के लिए उनके शरीर को स्थानीय बस स्टेशन के सामने खुले क्षेत्र में प्रदशित किआ गया ताकि जनता उन्हें आखरी श्रदांजलि दे सके !30 जुलाई 2015 को पुर्व राष्ट्रपति को पूरे सम्मान के साथ रामेश्वरम के पी. करुंम्ब ग्राउंड में दफना दिया गया

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी सहित  3,50,000 से अधिक लोगो ने अंतिम संस्कार में भाग लिया


हम केवल तभी याद किये जाएंगे यदि हम हमारी युवा पीढ़ी को एक समृद्ध और सुरक्षित भारत दे सके जो की सांस्कृतिक विरासत के साथ साथ आर्थिक समृद्धि के परिणाम स्वरुप प्राप्त हो??

विशेषता
डॉक्टर अब्दुल कलाम ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं जिन्हें भारत रत्न का सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ था!!अन्य दो राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन थे! यह प्रथम वैज्ञानिक थे जो राष्ट्रपति बने थे और प्रथम राष्ट्रपति भी थे जो अविवाहित थे।


Team The Current Knowledge

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