This bill was first passed by the Lok Sabha, then it was introduced in the Rajya Sabha, where the bill was returned without consideration.
Recently, the Finance Bill, 2021 has been passed from Parliament on 23 March 2021, which is necessary to implement the financial proposals of the Central Government for the financial year 2021-22.
The Finance Bill was first passed by the Lok Sabha, then introduced in the Rajya Sabha, where the Bill was returned without consideration. This means that the said bill has been passed by Parliament. The passage of this bill in Parliament is considered a symbol of the completion of the budgetary process.
The Finance Minister said that there will be no change in the rate of income tax. Several opposition members pointed out the high prices of petrol and diesel during the debate on this bill and said that petroleum products should be brought under the Goods and Services Tax (GST) Council.
A finance bill is related to revenue or expenditure. Under Article 110 of the Constitution of India, the Finance Bill is a part of the Union Budget and as per the tax proposals made in the Union Budget, all necessary amendments are included in the various tax laws.
(हाल ही मे, 23 मार्च, 2021 को संसद से वित्त विधेयक, 2021 पारित हो गया है, जो वित्त वर्ष 2021-22 के लिए केंद्र सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को लागू करने के लिए आवश्यक होता है|)
(वित्त विधेयक को पहले लोकसभा द्वारा पारित किया गया, फिर इसे राज्य सभा में प्रस्तुत किया गया, जंहा इस विधेयक को बिना विचार के लौटा दिया गया| इसका अर्थ यह है कि, उक्त बिल संसद द्वारा पारित हो गया है| संसद में इस विधेयक का पारित होना बजटीय प्रक्रिया के पूरा होने का प्रतीक माना जाता है|)
(वित्त मंत्री ने कहा कि, आयकर की दर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा | कई विपक्षी सदस्यों ने इस बिल पर हुई बहस के दौरान पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों की ओर इशारा किया और यह कहा कि, पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल के तहत लाया जाना चाहिए|)
(वित्त विधेयक, राजस्व या व्यय से संबंधित होता है| भारतीय संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत, वित्त विधेयक केंद्रीय बजट का एक हिस्सा होता है और यह केंद्रीय बजट में किए गए कर प्रस्तावों के अनुसार, विभिन्न कर कानूनों में सभी आवश्यक संशोधनों को शामिल किया जाता है|)
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