The book tells the story of 120 Indian soldiers who fought against 5,000 Chinese soldiers in the 1962 Indo-China war.
Recently, Kulpreet Yadav has launched his new book titled “The Battle of Rezang La”. The book tells the story of 120 Indian soldiers who fought against 5,000 Chinese soldiers in the 1962 Sino-Indian War.
This book is published under the “Veer” imprint of Penguin Random House. The book “The Battle of Rezang La” is authored by a former naval officer and author Kulpreet Yadav.
The Charlie Company of the Army’s 13 Kumaon Battalion fought against Chinese troops at the Rezang La Pass in Ladakh on 18 November 1962. Almost all the soldiers in this company were residents of southern Haryana. In which 110 out of the total soldiers of the detachment were martyred. Which was led by Major Shaitan Singh.
Kulpreet Yadav wrote, “This is the story of an officer and 120 jawans who fought to protect the country on 18th November 1962 in extreme cold. The weapons were old and there was a shortage of ammunition. Their clothes were not effective to keep out the cold and food was also scarce.”
The book quoted reports that a total of 1,300 Chinese soldiers were killed in the attempt to capture Rezang La. Kulpreet Yadav, the author of this book, has also been rewarded for the book “Murder in Paharganj” at the Gurgaon Literature Festival in 2018.
हाल ही मे, कुलप्रीत यादव ने अपनी नई पुस्तक लॉन्च की है जिसका शीर्षक “द बैटल ऑफ रेजांग ला (The Battle of Rezang La)” है| इस पुस्तक मे 120 भारतीय सैनिकों की कहानी बताती है जिन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध में 5,000 चीनी सैन्य सैनिकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी|
यह पुस्तक पेंगुइन रैंडम हाउस की ”वीर (Veer)” छाप के तहत प्रकाशित हुई है| “द बैटल ऑफ रेजांग ला” पुस्तक पूर्व नौसेना अधिकारी और लेखक कुलप्रीत यादव द्वारा लिखी गई है।
सेना की 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी ने 18 नवंबर 1962 को लद्दाख में रेजांग ला दर्रे पर चीनी सैनिकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इस कम्पनी में लगभग सभी सैनिक दक्षिणी हरियाणा के निवासी थे। जिसमें टुकड़ी के कुल सैनिकों में से 110 शहीद हो गए थे। जिनका नेतृत्व मेजर शैतान सिंह ने किया था|
कुलप्रीत यादव ने लिखा है, “यह एक अधिकारी और 120 जवानों की कहानी है जिन्होंने 18 नवंबर 1962 को बेहद ठंड में देश की रक्षा करने के लिए लड़ाई लड़ी थी। हथियार पुराने थे और गोलाबारूद की कमी थी। उनके कपड़े ठंड से बचने के लिए प्रभावी नहीं थे और खाना भी कम था।”
इस पुस्तक में खबरों के हवाले से बताया गया है कि रेजांग ला पर कब्जा करने के प्रयास में कुल 1,300 चीनी सैनिक मारे गए थे| इस पुस्तक के लेखक कुलप्रीत यादव को “मर्डर इन पहाड़गंज” पुस्तक के लिए 2018 में गुड़गांव साहित्य महोत्सव में पुरस्कृत भी किया जा चुका है।
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