विधेयक वन संरक्षण संशोधन विधेयक ,अधिनियम, 1980 में करता है क्यों की इसे कुछ प्रकार की भूमि पर लागू किया जा सकता हैं। जिसके द्वारा भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत या 1980 अधिनियम लागू होने के बाद सरकारी रिकॉर्ड में जंगल के रूप में अधिसूचित भूमि शामिल है। लेकिन यह अधिनियम 12 दिसंबर, 1996 से पहले गैर-वन उपयोग में परिवर्तित भूमि पर लागू नहीं होगा। जाने वन संरक्षण संशोधन विधेयक
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वन संशोधन विधेयक, 2023
- एक संसदीय समिति ने बिना किसी आपत्ति के Forest Conservation Amendment Bill, 2023 को मंजूरी दे दी गई है।
- विधेयक में वन संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन का प्रस्ताव है और इसका उद्देश्य कुछ वन भूमि को कानूनी सुरक्षा से छूट देना भी है।
- इस विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद बताई जा रही है।
वन संरक्षण संशोधन विधेयक विधेयक के मुख्य प्रावधान कौन से है जाने:
1. अधिनियम की प्रयोज्यता क्या है:
- विधेयक वन अधिनियम, जो 1980 को कुछ प्रकार की भूमि पर लागू करता है।
- इसमें भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत वन के रूप में अधिसूचित भूमि या 1980 अधिनियम के लागू होने के बाद सरकारी रिकॉर्ड में शामिल भूमि भी शामिल की है।
- 12 दिसंबर, 1996 से पहले गैर-वन उपयोग में परिवर्तित भूमि अधिनियम के अधीन नहीं होगी।
2. अधिनियम में छूट क्या:
- विधेयक कुछ प्रकार की भूमि को अधिनियम के दायरे से बाहर रखी जाती है।
- इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजनाओं के लिए आवश्यक भारत की सीमा के 100 किमी के भीतर की भूमि, सड़क के किनारे छोटी सुविधाएं और निवास की ओर जाने वाली सार्वजनिक सड़कें शामिल की जाती हैं।
3. वन भूमि का असाइनमेंट होगा:
- राज्य सरकार अगर कोई वर्तमान में वन भूमि को निजी संस्था को सौंपने के लिए केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता होती है।
- बिल इस आवश्यकता को सभी संस्थाओं तक बढ़ाता है और केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट शर्तों पर असाइनमेंट करने की अनुमति भी देता है।
4. अनुमेय गतिविधियाँ क्या है:
- अधिनियम कुछ गतिविधियों को निर्दिष्ट करता है जो जंगलों में की जा सकती हैं, जैसे कि चेक पोस्ट, बाड़ और पुलों की स्थापना भी इन में शामिल हैं।
- साथ ही बिल में चिड़ियाघर, सफारी और इको-टूरिज्म सुविधाएं चलाने की भी अनुमति दी गई है।
मुख्य मुद्दे और इसका विश्लेषण:
1. वन भूमि का बहिष्करण करना:
- अगर देखा जाए तो बिल भूमि की दो श्रेणियों को अधिनियम के दायरे से बाहर करता है, जो संभवतः वनों की कटाई को रोकने पर 1996 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जा रहा है।
- अगर 25 अक्टूबर, 1980 से पहले वन के रूप में दर्ज भूमि, लेकिन वन के रूप में अधिसूचित नहीं है, और 12 दिसंबर, 1996 से पहले वन-उपयोग से गैर-वन-उपयोग में परिवर्तित भूमि शामिल है।
2. उत्तर-पूर्वी राज्यों पर क्या प्रभाव:
- भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजनाओं के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के पास भूमि को छूट देने से पूर्वोत्तर राज्यों में वन आवरण और वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
3. संभावित प्रतिकूल प्रभाव होगा:
संभावित प्रतिकूल प्रभाव चिड़ियाघरों, इको-टूरिज्म सुविधाओं और टोही सर्वेक्षण जैसी परियोजनाओं के लिए पूर्ण छूट वन भूमि और वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
तालिका 1: भारत का वन क्षेत्र (वर्ग किमी में) जाने:
वृक्ष छत्र घनत्व | 2001 | 2021 | परिवर्तन |
10% से 40% (खुला) | 2,58,729 | 3,07,120 | 4,391 |
40% से ऊपर | 4,16,809 | 4,06,669 | -10,140 |
कुल वन क्षेत्र | 6,75,538 | 7,13,789 | 38,251 |
स्रोत: 2001 और 2021 के लिए भारत की वन स्थिति रिपोर्ट; PRS.
विधेयक में वन संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन का प्रस्ताव है इसका उद्देश्य क्या है?
विधेयक में वन संरक्षण अधिनियम 1980 में संशोधन का प्रस्ताव है और इसका उद्देश्य कुछ वन भूमि को कानूनी सुरक्षा से छूट देना है।
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