Chandra Shekhar Azad Jayanti 2021: Some inspirational statements related to Chandrashekhar Azad
The 115th birth anniversary of Chandrashekhar Azad is being celebrated on 23 July 2021. He was born on July 23, 1906, in Bhavra, Madhya Pradesh. His father’s name was Sitaram Tiwari and his mother’s name was Jagrani Devi. Chandrashekhar’s education started from the Jhabua district of Madhya Pradesh and further studies were completed in Sanskrit Vidyapeeth of Varanasi.
After the Jallianwala Bagh incident on April 13, 1919, he joined the non-cooperation movement led by Mahatma Gandhi in 1920. In the year 1922, due to the sudden closure of the non-cooperation movement by Gandhiji, there was a change in his ideology and he became an active member of the Hindustan Republican Association by joining revolutionary activities.
Through this organization, under the leadership of Ram Prasad Bismil, the first Kakori incident took place on 9 August 1925 and escaped. After this, in 1927, after the sacrifice of 4 prominent comrades with ‘Bismil’, he united all the revolutionary parties of North India and formed the Hindustan Socialist Republican Association and avenged the death of Lala Lajpat Rai in Lahore with Bhagat Singh. Saunders was murdered.
Thoughts and quotes of Chandrashekhar Azad:
23 जुलाई 2021 को चंद्रशेखर आज़ाद की 115वीं जयंती मनाई जा रही है| इनका जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के भावरा में हुआ था| इसने पिता का नाम सीताराम तिवारी तथा माता का नाम जगरानी देवी था। चन्द्रशेखर की पढ़ाई की शुरूआत मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से हुई और आगे की पढ़ाई वाराणसी की संस्कृत विद्यापीठ में पूर्ण हुई|
13 अप्रैल, 1919 को हुई जलियांवाला बाग की घटना के बाद वह 1920 में महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले असहयोग आंदोलन में शामिल हुए| सन् 1922 में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गये|
इस संस्था के माध्यम से राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले 9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड किया और फरार हो गये| इसके पश्चात् सन् 1927 में ‘बिस्मिल’ के साथ 4 प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स की हत्या करके लिया|
चंद्रशेखर आजाद के विचार व कोट्स:
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